Wednesday, February 26, 2020

क्योँ डरता है संघ दलित मुस्लिम एकता से? देश के तरक्की के लिए ज़रूरी है दलित मुस्लिम एकता!


मेरे प्यारे भाईयों और बहनो सलामोअलैकुम,

दिल्ली में जो दंगा हुआ वो बहुत निन्दनिये है और उसकी जितनी भी निंदा किया जाये कम है! लेकिन दिल्ली के दंगा होने से एक बहुत बड़ा नुक्सान होने जा रहा है वो है दलित मुस्लिम एकता का टूटना! आपको हैरानी होगी की ये एकता तोड़ने का काम दलित सामाजिक कार्यकर्ता नहीं कर रहे हैं, ये काम कुछ मुस्लिम कार्यकरता कर रहे हैं!
इस मामले में सबसे पहला सवाल ये उठता है की अगर दलित मुस्लमान एकता टूटता है तो किसका नुक्सान होगा और किसका फायदा? 

 
दलित मुस्लमान एकता से किसका सबसे ज़्यादह नुक्सान है और कौन डरता है?

हम जानते हैं की भाजपा संघ की राजनितिक सखा है और संघ पर सवर्ण जातियों का और खास तौर से ब्राह्मणो का कब्ज़ा है! आपक देखिये कितने भाजपा शासित राज्य में ब्राह्मण और राजपूत मुख्यमंत्री और राज्यपाल हैं? कितने विश्यविद्यालय में कुलपति ब्राह्मण और राजपूत हैं?

दलित आरक्षण होने के बावजूद भी बड़े पोस्ट पर नहीं हैं क्योँ की स्वर्ण जातियां बिलकुल नहीं चाहती हैं की ये किसी अच्छे पोस्ट पर पहुंचें, ये बात दलित सामाजिक कार्यकर्ता भली भांति समझते हैं इसलिए वो ब्राह्मणवादी समाज के खिलाफ बोलते हैं, वो खुद हज़ारूं साल से सताए हुए लोग हैं और उन्ही के तर्ज पर ब्राह्मणवादी समाज मुसलमानो को भी सताना शुरू कर दिया है!

अभी हाल में ही दलित भाईयों का एक जत्था तमिल नाडु में मुसलमान हो गया, अब ज़रा सोंचिये की एक सताए हुए समाज को आप सोशल मीडिया पर गाली देंगे, एक घटना के वजह से जिससे फायदा संघ को होगा तो वो समाज आपसे विदक जायेगा और और वोट की राजनीति में आप अकेले पड़ जायेंगे! हालाँकि की खबरें रही हैं की सीलमपुर में दलित भाइयों ने मानव चैन बना कर दंगाईयों को मुसलमनो के इलाको में घुसने नहीं दिया और इसके लिए हम दलित भाइयों के इस मानवीय व्यवहार के लिए शुक्रगुज़ार हैं!

बहोत सारे मुस्लमान भाई ये तर्क देते हैं की दलित फुट सोल्जर है संघ के प्रोजेक्ट का! तो आपको समझना चाहिए की उनको बनाया गया है क्योँकी आप दलित भाईयों के दुःख दर्द में शामिल नहीं हुए, उनको सताया गया तो आपने आवाज़ नहीं उठायी, इसी बात का फायदा उठा के संघ ने उनको धर्म के आधार पर उनको इस्तिमाल किया है मुसलमानो के खिलाफ!
आपको अल्लाह ने अपना नायब बना के भेजा इन्साफ करने के लिए लेकिन आप अपने क़ाम को भूले, और ऐसे भूले की आपको फ़र्क़ ही नहीं पड़ता, जब आपको फ़र्क़ नहीं पड़ेगा फिर आपकी मदद कौन करेगा? और सबसे बड़ी बात नाइंसाफी तो अल्लाह के हुक्म की खिलाफवर्ज़ी भी है!
वोट की राजनीति में अकेले पड़ने वाली बात संघ खूब समझता है इसी लिए भाजपा और संघ के लोग चाहते हैं की हज़ारों सालों से सताए हुए दलित भाई और पिछले कुछ दशकों से सताये हुए मुसलमान साथ नहीं आएं, जब ये साथ नहीं आएंगे तो फायदा सिर्फ और सिर्फ संघ और भाजपा को होगा जो एक देश वरोधी और संविधान विरोधी ताकतें हैं! देश को बचाना है तो एकता लाज़िम है, चाहे वो दलित-मुस्लमान या दूसरे पिच्छड़े वर्ग के लोगों  की एकता हो! हमको एक रहना है देश को एक रहना है! देश के हर नागरिक की मौलिक अधिकारों की रक्षा भी हमारा क़ाम है! हम सिर्फ अपने हक़ की लिए नहीं सब लोगों की हक़ की लिए खड़े होंगे और संघर्ष करेंगे, नायब होने का हक़ अदा करेंगे! जो इन्साफ करेगा वही नायब रहेगा वरना ऐसे नाइंसाफी की दस्तूर को हम क्योँ माने?

संघ के लोग साजिश करने में माहिर हैं, वो किसी भी भेष में सकते हैं एकता को तोड़ने के लिए! वो मुसलामन के भेष में सकते हैं, वो हिन्दू के भेष में सकते हैं और मुमकिन है की खुद दलित के भेष में सकते हैं और तर्क के साथ समझा सकते हैं की इस इत्तिहाद और एकता को तोड़ दो इससे कोई फायदा नहीं है, लेकिन ईमान वालों अपने आका रसूल सल्ले आला वालीहसल्लम के तालीम को याद रखना की तोड़ना शैतान का काम है और जोड़ना इस्लाम का काम है!

जाओ दिलों के नफरत मिटाओ!
Love is Natural and Hate is Fed and it is Artificial. Hate is against the humane natural instinct.
देखो कहीं किसी काम में तुमसे इन्साफ तो नहीं छूट रहा है? इन्साफ हाँथ से नहीं छूटना चाहिए, अगर नाइंसाफी तुम्हारा भाई कर रहा है तो क्या तुम उसके साथ खड़े होंगे? इन्साफ नहीं करोगे तो रब रूठ जायेगा और जब तुम्हारना मालिक पालनहार अल्लाह रूठा तो सब बेमानी!

फिर सोंचते रहो की कौन नाइंसाफी कर रहा है फिर तुम नाइंसाफी करने वालों के खिलाफ खड़े हो जाओ. इन्साफ अल्लाह को पसंद है! भारत के संविधान को पढ़ो और देखो की सब नागरिक को चाहे किसी धर्म या जाती का हो इन्साफ मिल रहा है या नहीं, अगर नहीं मिल रहा है तो संघर्ष करो और सबको अपने साथ लेके चलो! दलित भी हमारा भाई है और पिछड़ा भी हमारा भाई है! एकता और इत्तेहाद हर हाल में टूटनी नहीं चाहिए!