Friday, February 18, 2022

मुसलामानों में शिक्षा को दीनी एवं दुनयावी कह कर बाँटना कितना सही है?

शिक्षा की लड़ाई में किस की दलील सही है और कौन गलत यह कई दशकों से चली आरही है , इस लड़ाई में एक बड़ा तबका शिक्षा को अपने नज़रिए से दीनी और दुनयावी कह कर एक विशेष समुदाय को ठगने का कार्य कर रहे हैं | परन्तु इस रुढ़िवादी और दकियानूसी सोच को पूरी कौम पर थोपना कितना हानिकारक है इस बाबत इस विशेष समुदाय के लिए चिंता का विषय है | जो लोग एक ईश्वर में यक़ीन रखते हैं, वो मानते हैं की इल्म की रौशनी, इसकी बढ़ोतरी और इसका कम होना ईश्वर के तरफ से है। लेकिन सवाल ये है की अगर इल्म ईश्वर की तरफ से है और ईश्वर एक है तो इल्म आसमान से ज़मीन पर आते आते कहाँ विभाजित हो कर दो हिस्सों में बंट जाती है? इस सवाल पर हम इंसानो को गौर करना चाहिए। 

जब ईश्वर ने बाबा आदम को बनाया और उनको सारी चीज़ों की इल्म सिखाया, और ये बात जन्नत में फरिस्तों की मौजूदगी में हो रही थी, हमारे बाबा आदम अभी जन्नत में ही थे की ईश्वर ने उनको सारी चीज़ों की इल्म सीखा दिया था और उस वक़्त दुनिया का वजूद अभी सामने नहीं आया था, तब फिर ये बात दिमाग में आती है की ईशवर ने हमारे बाबा आदम को कौन सी इल्म सिखाया? गोया इल्म सिखने और सीखने का सिलसिला दुनिया के क़याम में आने से पहले हो गया था और ईश्वर ने सिखाया था, फिर बाबा आदम को दुनिया में भेजा और हम उनके वंशज हैं। 

ऊपर दिए हुए तथ्य से ये साबित होता है की इल्म को विभाजित करना एक मूर्खतापूर्ण कार्य था जिसको हमारे पूर्वजों ने किया और उसका बोझ हमारा आज का समाज आज भी ढ़ोने को विवश है और अपने आप को और अपने क़ौम को गर्त में धकेलने को आतुर है। 

इल्म के विभाजन से पूरी की पूरी क़ौम कंफ्यूज हो गयी। अब इसको पता ही नहीं था कि क़ौम एक साथ क्या करे ? एक तरफ साइंस को दुनियावी इल्म बता कर हमको साइंस और टेक्नोलॉजी से दूर रखा गया और दूसरी तरफ सिर्फ दीनी इल्म हासिल करके हम राकेट या मेडिकल साइंस में तरक्की नहीं कर सकते हैं।  

अर्थशास्त्र पर हमारे पिछड़ेपन का कारण इस ' चार दिवसीय ' जीवन से घृणा है और विज्ञान के मोर्चे पर निर्वाह का कारण विज्ञान को हमारे धर्म का शत्रु मानना है । प्रसिद्ध भौतिकी विद्वान आर्यन रॉक्सबर्ग लिखते हैं, "ब्रह्मांड आश्चर्यजनक रूप से समान है । एक अनुक्रम और संरचना ब्रह्मांड के घटकों में एक अनुपात में पाए जाते हैं। लगभग डेढ़ सदी पहले, कुरान घोषणा करता है कि (1) अल्लाह सब कुछ बनाया है, और फिर सब कुछ (अल furqan) का एक अलग आकलन निर्धारित किया है । (2) और अल्लाह ने सूर्य और चंद्रमा को फिक्स  धुरी पर बना दिया है, हर एक सही समय (अल-राड) पर चलता है। 

धर्म और विज्ञान के बीच कोई प्रतिस्पर्धा और कोई संघर्ष नहीं है । हाँ लेकिन कुछ लोगों ने साइंस और धर्म को लड़ाने का काम ज़रूर किया है ! जबकि हकीकत ये है की धर्म पुरे क़ायनात की बात करता है और साइंस उस कायनात के एक छोटे हिस्से में बसे ग्रह पर छिपी हुयी चीज़ों को ढूंढने का काम करता है! दोनों की तुलना एक महान मूर्खता है!

अब हमारी गिरावट के कारणों को सुनिए । इब्न खालिदुन दुनिया के सबसे प्रमुख इतिहासकारों में से एक हैं। उन्होंने अपने प्रसिद्ध इतिहास के मामले में लिखा, हमने सुना है कि भूमध्य सागर के उत्तरी तटीय क्षेत्रों फ्रांगी का देश चिकित्सा और विज्ञान की बात है, लेकिन हम जानते हैं कि चिकित्सा की समस्याएं हमारे धार्मिक मामलों का क्षेत्र नहीं हैं और इनका कोई महत्व नहीं है, इसलिए इन विज्ञानों से दूर रहना बेहतर है ।

दुर्भाग्य से, यह रवैया तब भी जारी रहा जब इस्लाम की दुनिया में प्रमुख इस्लामी साम्राज्य जैसे तुर्क साम्राज्य, ईरानी और भारत में मुगल साम्राज्य स्थापित किए गए थे। ऐसा नहीं था कि हमारे वे सुल्तान पश्चिम में विज्ञान के विकास से अनजान थे, उन्हें पुर्तगाली कौशल, शिपिंग और जहाज निर्माण की भी जानकारी थी, लेकिन उनकी प्राथमिकताएं अलग रहीं। उन्हें यह भी पता नहीं था कि पुर्तगालियों को कम से कम हज से समुद्री मार्गों का पता लगाने के लिए शिपिंग और जहाज निर्माण का उपयोग करना चाहिए। यह एक और बात है कि पुर्तगाल के राजा हेनरी रण, कोलंबस, और वास्कोडिगामा को समुद्र में उतरा जबकि कम्पास अरब का आविष्कार किया गया है!

इस संबंध में हमें इस बात का भी अफसोस है कि कई गैर मुस्लिम भाइयों ने अपने मन में यह स्पष्ट कर दिया है कि मुसलमान विज्ञान के क्षेत्र में पिछड़ गए हैं क्योंकि उनका धर्म विज्ञान शिक्षा के खिलाफ है या कम से कम पसंद नहीं है, लेकिन तथ्यों के अनुरूप ऐसा नहीं है। दरअसल, इस्लाम की नजर में ब्रह्मांड का अध्ययन करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह रचनाकार (ईश्वर) के ज्ञान का स्रोत है।

हमारा मानना है की इल्म एक ही है और इसका दीनी और दुनियावी इल्म में विभाजन मूर्खतापूर्ण रवईया है। 

इल्म कोई भी हासिल करें लेकिन इल्म के बारे में जो इख़लाक़ी हिदायत पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहेब ने दिया है उसका अनुकरण करें।  पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहेब ने मानवता को फायदा पहुँचाने वाली इल्म हासिल करने की हिदायत दिया है ना की दीनी या दुनियावी इल्म की।

Sunday, July 18, 2021

क्या हिंदुस्तान में इस्लाम तलवार के बल पर फैला? एक बड़े झूठ का खुलासा

 हम २१ सेंचुरी मैं हैं और साल २०२१ चल रहा है। 

उत्तर प्रदेश में पुलिस धर्मान्तरण के केस में मुस्लिम नागरिकों को पकड़ के जेल मैं बंद कर रही है। ये धर्मान्तरण तब हो रहा है जब केंद्र में हिन्दू हिर्दय सम्राट नरेंद्र मोदी का शाशन है और प्रदेश में ठीक उसी तरह के मुख्य मंत्री श्री संजय बिष्ट उर्फ़ योगी हैं। 

पिछले १०० सालों से जनता को मुर्ख बनाया जाता रहा की मुग़लों ने अपने शाशन काल में तलवार के नोक पर हिंदुस्तान में इस्लाम फैलाया और जबरन हिन्दुओं का धर्मांतरण करवाया। 

अगर मुग़लों के खिलाफ गढ़ी हुयी कहानी क़ो सही मान भी लें तो आज जब २१ सताब्दी में हिन्दू और हिंदुत्व के ब्रांड अम्बेसेडर मोदी और योगी के काल में धर्मांतरण क्योँ हो रहा है? आईये कुछ सोंचते हैं और सवाल करते हैं;

1. आज जब मुस्लमान खुद एक पिछड़ा हुआ वर्ग है और वह सत्ता में भी नहीं है तो धर्मान्तरण क्यों हो रहा है ?

2.  जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और संघ के द्वारा संचालित है तो धर्मान्तरण क्यों हो रहा है ?

इन सब बातों की जो भी कारण हो लेकिन एक बात पक्का है की मुग़लों के काल में धर्मान्तरण तलवार के नोक पर हुआ, यह एक झूठ के सिवा कुछ भी नहीं हैं। इस बात क़ो फैला करके झूठ फैलाया गया, आज के मुसलमानो के खिलाफ नफरत की बीज बोई गयी और जनता का मुर्ख बना कर सत्ता हासिल किया गया! अगर तलवार के नोक पर इस्लाम फैला होता तो आज नरेंद्र मोदी के युग में नहीं फैलता। 

पुलिस अपने राजनितिक आका के कहने पर काम करती है और मीडिया आज गोदी में बैठी हुयी है राजनितिक दल के। अब गोदी मीडिया ऐसे हेडिंग्स लगाती है जैसे धर्मान्तरण कोई गुनाह हो और संविधान जैसे धर्म चुनने की आज़ादी नहीं देता हो। देखिये गोदी में बैठी हुयी मीडिया ने कैसे खबर छापा है, गैंग और रैकेट जैसे शब्दों क़ो प्रयोग करके बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। हालाँकि कोई भी धर्मान्तरण तलवार के नोक पर नहीं हो रहा है। 



जबकि हकीकत ये है की उत्तर प्रदेश की ही महिला ने हाई कोर्ट में याचिका दायर किया है की उसने अपना धर्मान्तरण अपने मर्ज़ी से किया है लेकिन सरकार और सरकार की पुलिस जबरन उसके मौलिक अधिकारों का हनन कर रही है। उस महिला ने ये माना है की उस पर कोई ज़बरदस्ती नहीं किया गया और तलवार की नोक भूल जाईये किसी ने तलवार का ज़िक्र भी नहीं किया। 



धर्मांतरण हर नागरिक की व्यक्तिगत आज़ादी है और मौलिक अधिकार है, इसका अधिकार का  दमन सरकार नहीं कर सकती है। 








Monday, January 11, 2021

Hindus are naturally Patriotic: A Myth?

On January 01, 2021, RSS Chief Mr. Mohan Bhagwat Said while inaugurating a book to press that “If someone is Hindu, he has to be patriotic, that will be his or her basic character and nature,” the RSS leader said. “At times you may have to awaken his or her patriotism but he [Hindu] can never be anti-India. (https://scroll.in/latest/982928/hindus-are-patriotic-by-nature-they-can-never-be-anti-india-rss-chief-mohan-bhagwat) 

Fact verses Myth: 

Today UP Police have reported that one former ATS (Anti Terrorist Squad) service man with name of Saurav Sharma has been arrested for spying for ISI, Pakistan.

The other media houses also reported the same. (https://www.deccanherald.com/national/north-and-central/up-anti-terror-squad-arrests-two-isi-moles-936784.html)

This kind of incidence is not new that prominent officers or office bearers are doing spying for Pakistan from upper caste hindu community. There are some other example has been listed here:

1. On February 24, 2020, The Hindu, National New Paper reports "Indian Navy sailors booked for espionage leaked vital information to Pakistan: NIA"
2. On October 09, 2018: NDTV reported that one BrahMos Missile technical scientist Nishant Agrawal arrested for data sharing with Pakistan:



3. India.com on September 1, 2019 reported that "The BJP in Madhya Pradesh has been under fire since five persons including Bajrang Dal leader Balram Singh were arrested in a terror funding case. The Anti Terror Squad of Madhya Pradesh police had arrested five persons on August 21 in Satna, Madhya Pradesh, for suspected links with a terror-funding racket managed by Pakistani operatives."

Another report:


4. On 10 February 2017, ALT News reported "BJP IT Cell man Dhruv Saxena along with 10 others arrested for helping ISI spy on Army"

5. On September 19, 2020, Hindustan Times reported "Journalist spying case: Delhi Police makes 2 more arrests, including Chinese woman: Police have registered a case under the Official Secrets Act against Rajeev Sharma and the Chinese and Nepalese nationals have been arrested under the same charges"


These are the recent example that most the people arrested by police on high positions were Hindu and precisely from swarna Hindu. 

Based on above examples which are available in public domain, the statement of Mr. Mohan Bhagwat is not true and not based on fact. He is just garnering the false nationalist emotions of the majority (Hindu) and trying to divert the attention from real issues like:
1. employment and job
2. Social security
3. Free Education and Healthcare
4. Infrastructure development. 

When Mr. Bhagwat told that Hindu are naturally patriotic, does he mean Christian, Muslims, Sikh, Jains and Buddhists are less patriotic than hindu brethren of our country? The statement of Mr. Mohan Bhagwat is unconstitutional and against the basic ethos of India where all citizens are equal in front of law and we praise or punish an Individual BUT not the religion. Religion is personal affair not the public affair.

Mr. Bhagwat should take back his statement and apologize to entire country for his divisive remarks. 

Sunday, January 3, 2021

Hindu Temple destroyed by Hindu Governments and Hindu Kings

On 03 January 2021, it surfaced that one temple of Shri Hanuman has been destroyed by Delhi Municipal Corporation where Bhartiya Janta Party (BJP) have the majority. Delhi State government is ruled currently by Aam Aadmi Party (AAP) lead by Arvind Kejriwaal who is Baniya by caste and belongs to Swarna Hindu community and he himself claims to be Bhagt of Hanuman ji in last Delhi election. Arvind Kejriwal celebrated Diwali on live TV show by doing Lakshmi Pooja by using taxpayers money.

Both BJP and AAP claims to be great saviors of Hindu and both are ruling Delhi, and now you see that one Hindu God Temple of Shri Hanuman has been destroyed by Hindu ruler of current time. (https://in.news.yahoo.com/aap-bjp-blame-other-demolition-180832372.html)

AAP and BJP are in political race as rival to garner the vote of Hindus as Hindu sentiments and assertions of religious superiority over minorities are currently all time high since Narendra Modi assume office in 2014.

The damage has been done and temple has been destroyed in Hindu government of BJP and AAP. Even they restore it, the question remains how did they decide to demolish it first and why hardcore hindutva including Hindu Hirday Samrat is not asking questions? AAP and BJP, both are playing politics over demolition. Here are the some of the tweets from AAP high officials like Raghav Chadda and Aatishi;

While, BJP blames AAP for the demolition of Hanuman Temple.

It is now being left on readers to decide that who loves Hindus more when in both powerful Hindu parties presence, a Hindu Temple has been destroyed and Millions of devotees sentiments has been crushed under bulldozer. Definitely, we dont have reason to blame Mughals now to blame for Hanuman temple demolition.


Eye in History: Hindu Kings destroyed Temple

Demolition of temples:

The dominant trend in the pre-Islamic period was of Hindu kings looting temples and whisking away images, but there are also instances of demolition of temples and idols.

In the early 10th century, the Rashtrakuta king Indra III destroyed the temple of Kalapriya, which their arch enemy, the Pratiharas, patronised. Then again, when the Kashmiri ruler Lalitaditya treacherously killed the king of Gauda (Bengal), his attendants sought to seek revenge. They clandestinely entered Lalitaditya’s capital and made their way to the temple of Vishnu Parihasakesava, the principal deity of the Kashmiri kingdom. However, they mistook a silver image of another deity for Parihasakesava, and took to grounding it to dust even as Kashmiri soldiers fell upon them. (https://scroll.in/article/767065/war-trophies-when-hindu-kings-raided-temples-and-abducted-idols), https://caravanmagazine.in/reviews-and-essays/dn-jha-destruction-buddhist-sites

In early medieval Indian history abounds in instances of temple desecration that occurred amidst inter-dynastic conflicts. In 642 A.D., according to local tradition, the Pallava king Narasimhavarman I looted the image of Ganesha from the Chalukyan capital of Vatapi. Fifty years later armies of those same Chalukyas invaded north India and brou ght back to the Deccan what appear to be images of Ganga and Yamuna, looted from defeated powers there. (https://frontline.thehindu.com/cover-story/article30255557.ece)

In the early ninth century, the Rashtrakuta king Govinda III invaded and occupied Kanchipuram, which so intimidated the king of Sri Lanka that he sent Govinda several (probably Buddhist) images that had represented the Sinhala state, and which the Rashtr akuta king then installed in a Saiva temple in his capital. About the same time, the Pandyan king Srimara Srivallabha also invaded Sri Lanka and took back to his capital a golden Buddha image that had been installed in the kingdom's Jewel Palace. In the early tenth century, the Pratihara king Herambapala seized a solid gold image of Vishnu Vaikuntha when he defeated the Sahi king of Kangra. By the mid-tenth century, the same image was seized from the Pratiharas by the Candella king Yasovarman and instal led in the Lakshmana temple of Khajuraho. (https://frontline.thehindu.com/cover-story/article30255557.ece)

Even Hindu rulers destroyed Buddhist stupas and built temples on them:

By 605 C.E, Sasanka had established the kingdom of Gauda. From there, he issued gold coins to celebrate his triumph, and came to be addressed as Maharajadhiraja (king of great kings). Sasanka vigorously propagated Hinduism. He was a Shaivaite and  built temples to Shiva in his kingdom. The famous Lingaraja Temple of Odisha is said to have been commissioned by him. However, a 12th century text states that Sasanka persecuted Buddhists with a vengeance and endeavored to extirpate the Buddhists from his dominions. He allegedly destroyed innumerable Buddhist stupas and converted viharas to Hindu temples in places such as Nalanda, Bodhgaya, Sarnath and Mathura. It is also alleged that he cut the Bodhi tree where the Buddha found enlightenment, in the Mahabodhi Temple of Bodh Gaya. What we see today is not the original tree. (https://www.getbengal.com/details/even-hindu-rulers-destroyed-buddhist-stupas-and-built-temples-on-them), https://www.counterview.net/2018/06/buddhist-shrines-massively-destroyed-by.html

Did Hindu forcibly converted to Islam by Muslim rulers in India?

In an interview Richard M Eaton professor of history, University of Arizona on question *It is said the writings of colonial historians have contributed to the perception that Hindus were forcibly converted to Islam. On what kind of evidence were such claims made? Why has this theory of forcible conversion persisted even to this day?* The professor Richard M Eaton replied as below:

There is no evidence that significant numbers of Hindus were forcibly converted to Islam. Emperor Jahangir issued many edicts admonishing his nobles not to convert anybody by force.  Of course, the very fact that such orders were issued suggests that such conversions must have occurred.  We know, for example, that when the son of Bir Singh of Orccha rebelled against Jahangir, the rebel’s sons were spared execution on the condition that they convert to Islam.  So there are these scattered references to forced conversion. But for the most part, the Mughals were scrupulously secular in outlook. They focused on stability, loyalty, and revenue, not on religious change among their subjects.  On one occasion, the Mughal governor of Bengal actually demoted a high-ranking officer for having converted his personal servant to Islam.

In the face of such evidence to the contrary, one is led to wonder why the trope of forced conversion has found such a secure hold in popular perceptions of Indian history.  I suspect that the answer lies in how the British justified their occupation of India.  They did this, in part, by contrasting their claims to ruling with justice, virtue, and integrity with the alleged tyranny and violence of the Indo-Muslim states they had replaced. The notion that Muslim rulers had forcibly converted Indians served the colonial need to portray Muslim rule as violent, tyrannical, and hence illegitimate and deserving of removal.

The trope of forced conversions has persisted into the present mainly because of the pervasive Islamophobia of our own times.  This is by no means confined to India, of course. Ben Carson, a leading candidate for the American presidency, has recently declared that a Muslim should be unqualified to serve as president because, so he claims, Islam is not consistent with the US Constitution. (https://scroll.in/article/769463/we-will-never-know-the-number-of-temples-desecrated-through-indias-history-richard-eaton)





 

Sunday, August 9, 2020

Who opposed the Bhumi Pujan of Ram Temple August 2020

The final judgement in the Supreme Court was declared on 9 November 2019. The Supreme Court ordered the land to be handed over to a trust to build the Hindu temple. It also ordered the government to give an alternate 5 acres of land to the Sunni Waqf Board for the purpose of building a mosque.

The Ram Mandir Trust decided to keep Bhumi Pujan on 5 August 2020 on same date a year back when article 370 was repealed and autonomy along with special status has been taken away. 

Since, the judgement was given for construction of Ram Temple, then who were the people opposed the Bhumi Pujan and inauguration of Ram temple construction by prime minister Shri Narendra Modi? 

The Jagran English reports:

The Hindu, frontline reports;

The CPI and the CPI (M) said the scheduled ‘bhoomi pujan’ ceremony for a grand Ram Temple at Ayodhya, which was attended by Prime Minister Narendra Modi, is against the Supreme Court verdict in the matter and also violates the spirit of the Constitution

CPI (M) General Secretory and former Rajya Sabha MP Mr. Sitaram Yechuri tweeted;

While CPI (ML) General Secretory Mr. Deepankar Bhattacharya compared the Bhumi Pujan with demolition of Babari Masjid itself;

No, PM Modi, 5 August 2020 cannot be bracketed with 15 August 1947. It stands in brazen contrast to and negation of August 15. 5 August 2020 flows from and can only be bracketed with 6 December 1992 which the Supreme Court in 1994 had characterised as an act of ‘national shame’!

— Dipankar (@Dipankar_cpiml) August 5, 2020

The CPI (ML) stage protest against the construction in various part of Bihar;





Friday, May 1, 2020

Who will read your Facebook or Twitter post after 5 Years?

I want to bring your attention to the online feed like Wikipedia, Quora  and such others. We can't  deny that ours children will read material online which they will search through Google other similar search engine in future. They will read science, mathematics, robotics, social science and religion including history.

They might get mis-information / false or fake information feed on Google, Wikipedia, Quora. By reading such article online, they will shape theirs brain and remember that they will come and argue with you show you link as evidence. What will you do then?

Repent? Why did I give access to internet to my son / daughter/ brother? And cry? 🤔🤔

No, of course not. Internet is going to be future basic need and we cant deny access of internet to our kids. The online classes are already ongoing in lockdown now. Lets make and work towards making internet material based on fact. Something which is not based on falsehood means Halal Internet material.

How will we do that? 🤔

Lets make group of intellectuals who are contributor to the Wikipedia / Quora / YouTube and similar others. If needed make group of such intellectuals on state level and lets contribute to Wikipedia and Quora and YouTube.

If someone getting that some information is misleading then you can ask for review to delete such falsehoods, this has been done against the misinformation fed by IT Cell Tablighi Jamat on wikipedi.(https://en.m.wikipedia.org/wiki/Wikipedia:Deletion_review#2020_Tablighi_Jamaat_coronavirus_hotspot_in_Delhi)

For example, there are lots of mis-information feed by political IT Cell in Wikipedia, see this news👇🏻
https://www.india.com/viral/twitter-lynch-mobs-arent-really-helpful-wikipedia-co-founder-jimmy-wales-pulls-down-fake-articles-on-tablighi-jamaat-4003672/

Many of the cases, contributors of Wikipedia are paid by wiki itself like YouTube paid through advertisement, so it will be an alternate source of income too.

Lets organize, lets organize internet content. Lets make it a halal internet content which contains truth not the falsehoods propagated through some IT cell.

Please don't be busy writing only on Twitter / Facebook and WhatsApp. No one is going to read your Twitter / Facebook and WhatsApp content even after one year. Your facebook, Twitter and WhatsApp message and content will not appear in a credible search engine on which anyone could rely. It is because your upcoming generations will read Wikipedia and Quora and watch YouTube, and might rely of on the internet content more.

Discuss it with family, friends, your educated wives who could be potential contributors. Those who are faking and producing FITNAH daily are already changing the internet content which will poison your children mind. Think and contribute and earn.

Thursday, March 19, 2020

کورونا وائرس سے ہونے والی بیماری (کووِڈ – 19) کے حوالے سے والدین کے لئے کیا جاننا ضروری ہے؟ Covid19 / CoronaVirus

نیا کورونا وائرس کیا ہے؟
نیا کورونا وائرس (CoV) کورونا وائرس کی نسل سے تعلق رکھنے والے وائرس کی ایک حال ہی میں سامنے آنے والی قسم ہے۔
اس نئے کورونا وائرس سے ہونے والی بیماری کی پہلی بار شناخت چین کے شہر ووہان میں ہوئی اور اسے کورونا وائرس سے ہونے والی بیماری کو 2019 (کووِڈ- 19) کا نام دیا گیا۔ بیماری کے اس نام میں ’کو‘ کا مطلب ’کورونا‘ ’وی‘ کا مطلب ’وائرس‘ جبکہ ’ڈ‘ کا مطلب disease یعنی بیماری ہے۔ اس سے قبل اس بیماری کو ’2019 نیا کورونا وائرس‘ یا ’2019 – این کو‘ کا نام بھی دیا گیا تھا۔
کووِڈ- 19 حال ہی میں سامنے آنے والا وائرس ہے جس کا تعلق کورونا وائرس کے اسی خاندان سے ہے جو نظامِ تنفس کی شدید ترین بیماری کی مجموعی علامات (سارس)  اور نزلہ زکا م کی عام اقسام پھیلانے کا باعث بنا تھا۔
کووِڈ- 19 کو عالمی ادارۂ صحت نے عالمی وبا قرار دیا ہے۔ اس کا کیا مطلب ہے؟
کووِڈ- 19   کو عالمی وبا قرار دینے کا یہ مطلب ہرگز نہیں کہ یہ وائرس پہلے سے زیادہ مہلک اور جان لیوا ہوچکا ہے۔ اس کے برعکس،  اس کا مطلب یہ ہے کہ عالمی ادارۂ صحت نے باقاعدہ اس بات کو تسلیلم کرلیا  ہے کہ یہ بیماری عالمی سطح پر پھیل چکی ہے۔
 یہ دیکھتے ہوئے کہ یہ بیماری کسی بھی ملک میں بچوں ، خاندانوں اور انسانی آبادیوں میں پھیل سکتی ہے، یونیسف دنیا بھر میں کووِڈ- 19 کی وبا سے نمٹنے کی تیاری اور بیماری کے  جوابی اقدامات میں مصروفِ عمل ہے۔  یونیسف دنیا بھر کی حکومتوں اور شراکت داروں کے ساتھ مل کر کورونا وائرس کی منتقلی کی روک تھام کے ساتھ ساتھ بچوں اور خاندانوں کو اس سے محفوظ رکھنے کے لئے بھی مسلسل سرگرم رہے گا۔
انٹرنیٹ پر کورونا وائرس کے بارے میں کافی زیادہ معلومات موجود ہیں۔ مجھے کیا کرنا چاہیے؟
انٹرنیٹ پر کورونا وائرس کے بارے میں بہت سی غلط معلومات اور بے بنیاد باتیں پھیلائی جارہی ہیں۔ مثال کے طور پر  یہ بتایا جارہا ہے کہ کووِڈ- 19 نامی بیماری کیسے پھیلتی ہے، اس سے بچنے کے کیا طریقے ہیں اور آپ کو کیا کرنا چاہیے اگر آپ  پریشان ہوں کہ آپ کورونا وائرس سے ہونے والی بیماری میں مبتلا ہیں۔
معلومات حاصل کرتے ہوے یہ احتیاط کرنے کی ضرورت ہے کہ آپ یہ معلومات اور مشورے کہاں سے حاصل کررہے ہیں۔ یہ  وضاحتی مواد آپ کو ضروری معلومات اور احتیاطی تدابیر فراہم کرنے کے لئے تیار کیا گیا ہے ۔ اس کے ذریعے آپ جان سکیں گے کہ آپ کورونا وائرس سے ہونے والی بیماری کے خطرات کو کس طرح کم کرسکتے ہیں، کیا آپ اپنے بچے کو اسکول نہ جانے دیں ، کیا ماں  کا بچے کو اپنا دودھ پلانا محفوظ ہے اور اگر آپ سفر پر نکل رہے ہوں تو آپ کو کن حفاظتی اقدامات کی ضرورت ہے۔ اس کے علاوہ یونیسف نے انٹرنیٹ پر ایک معلوماتی پورٹل بھی فراہم کردیا ہے جہاں سے آپ کووِڈ- 19 کے بارے میں مزید معلومات اور رہنمائی حاصل کرسکتے ہیں۔ اس کے علاوہ عالمی ادارۂ صحت (WHO) کی ویب سائٹ کے معلوماتی حصے میں آپ کو اکثر پوچھے جانے والے سوالات کے جوابات بھی مل سکتے ہیں۔
آپ کو یہ مشورہ دیا جاتا ہے کہ سفر اور تعلیم کے موضوع پر فراہم کی جانے والی مشاورت اور رہنمائی کے ساتھ ساتھ مقامی حکام کی طرف سے جاری کردہ نئی خبروں اور احتیاطی تدابیر  سے مسلسل باخبر رہیں۔
کووِڈ- 19 وائرس کیسے پھیلتا ہے؟
یہ وائرس متاثرہ شخص کی کھانسی یا چھینک سے خارج ہونے والے رطوبتوں کے چھوٹے قطروں اور ایسے چیزوں کی سطح کو چھونے سے پھیلتا ہے جو کورونا وائرس سے آلودہ ہوچکی ہوں۔ کورونا وائرس ان چیزوں کی سطح پر کئی گھنٹے تک زندہ رہ سکتا ہے لیکن اسے عام جراثیم کش محلول سے بھی ختم کیا جاسکتا ہے۔
کورونا وائرس کی علامات کون سی ہیں؟
 کورونا وائرس کی علامات میں بخار، کھانسی  اور سانس لینے میں مشکل پیش آنا شامل ہیں۔ بیماری کی شدت کی صورت میں نمونیہ اور سانس لینے میں بہت زیادہ مشکل کا سامنا بھی ہوسکتا ہے۔ یہ بیماری بہت کم صورتوں میں جان لیوا ثابت ہوتی ہے۔
اس بیماری کی عام علامات زکام (فلو) یا عام نزلے سے ملتی جلتی ہیں جو کہ کووِڈ- 19 کی نسبت بہت عام بیماریاں ہیں۔ اس لئے بیماری کی درست تشخیص کے لئے عام طور پر معائنے (ٹیسٹ) کی ضرورت پڑتی ہے تاکہ اس بات کی تصدیق ہوسکے کہ مریض واقعی کووِڈ- 19 میں مبتلا ہوچکا ہے۔ یہ بات ذہن نشین کر لینا ضروری ہے کہ نزلے زکام اور کووِڈ- 19 کی حفاظتی تدابیر ایک جیسی ہیں۔ مثال کے طور پر بار بار ہاتھ دھونا اور سانس لینے کے نظام کی صحت کا خیال رکھنا (کھانسی کرتے اور چھینکتے وقت اپنا منہ کہنی موڑ کر یا پھر ٹشو یا رومال سے ڈھانپ لینا اور استعمال شدہ رومال یا ٹشو کو ایسے کوڑا دان میں ضائع کرنا جو ڈھکن سے بند ہوسکتا ہو)۔ نزلہ زکام کی ویکسین دستیاب ہے ، اس لئے ضروری ہے کہ آپ خود کو اور اپنے بچوں کو ویکسین کی مدد سے محفوظ رکھیں۔
میں کورونا وائرس کی بیماری سے کیسے بچ سکتا ہوں؟
 : ان چار حفاظتی تدابیر پر عمل کرنے سے آپ اور آپ کا خاندان کورونا وائرس سے ہونے والی بیماری سے بچ سکتے ہیں
 



 
 
 
 
 
ہاتھ دھونے کے بہترین طریقے کون کون سے ہیں؟
پہلا قدم: بہتے ہوئے پانی سے اپنے ہاتھ گیلے کریں۔
دوسرا قدم: ہاتھوں پر اتنا صابن لگائیں کہ آپ کے گیلے ہاتھ پوری طرح صابن کی جھاگ میں چھپ جائیں۔
تیسرا قدم: ہاتھوں کی دونوں جانب سطح، انگلیوں کے درمیان اور ناخنوں کے اندرونی حصوں کو اچھی طرح رگڑیں۔
چوتھا قدم: بہتے ہوئے پانی سے اپنے ہاتھ اچھی طرح دھو لیں۔
پانچواں قدم : اپنے گیلے ہاتھ کسی صاف کپڑے یا ایسے تولیے سے صاف کرلیں جو صرف آپ کے استعمال میں ہو۔
 
دن میں کئی بار ہاتھ دھوئیں، خاص طور پر کھانے سے پہلے ، ناک صاف کرنے کے بعد ، کھانسی اور چھینک کے بعد اور بیت الخلا میں جاتے ہوئے۔
اگر صابن اور پانی فوری طور پر دستیاب نہ ہوں تو ہاتھ صاف رکھنے والا ایسا محلول استعمال کریں جس میں 60 فی صد الکوحل شامل ہو۔ اگر ہاتھ دھول مٹی سے اٹے ہوں یا واضح طور پر میلے دکھائی دیں تو ہمیشہ صاف پانی اور صابن سے اچھی طرح دھوئیں۔
کیا مجھے طبی ماسک پہننے کی ضرورت ہے؟
  طبی ماسک پہننے کا مشورہ اس وقت دیا جاتا ہے جب آپ میں سانس کی علامات (کھانسی اور چھینک) ظاہر ہوچکی ہوں اور اس صورت میں ماسک پہننے کا مشورہ اس لئے دیا جاتا ہے تاکہ دوسرے محفوظ رہیں۔ تاہم اگر آپ میں ایسی علامات ظاہر نہیں ہوئیں ، تو آپ کو ماسک پہننے کی کوئی ضرورت نہیں۔
اگر آپ ماسک پہن رہے ہیں تو لازم ہے کہ آپ انہیں ضائع کرتے وقت حفاظتی تدابیر  مدِ نظر رکھیں تاکہ ماسک موثر رہیں اور وائرس کی منتقلی کے اضافی خطرات سے بچا جاسکے۔
بیماری سے بچنے کے لئے صرف ماسک کا استعمال ہرگز کافی نہیں۔ اس کے لئے بار بار ہاتھ دھونا ، چھینک اور کھانسی کے دوران منہ اور ناک کو ڈھانپنا اور ایسے لوگوں سے دُور رہنا بھی ضروری ہے  جن میں نزلہ زکام کی علامات مثال کے طور پر کھانسی ، چھینکیں اور بخار کی صورت میں ظاہر ہوچکی ہوں۔
 کیا بچے بھی کووِڈ- 19 کا شکار ہوسکتے ہیں؟
یہ ایک نیا وائرس ہے اس لئے ہم اس کے بارے میں خاطر خواہ معلومات نہیں رکھتے کہ یہ بچوں اور حاملہ خواتین پر کس طرح اثر انداز ہوتا ہے۔ لیکن ہم یہ ضرور جانتے ہیں کہ یہ وائرس ہر عمر کے لوگوں کو متاثر کرسکتا ہے۔ تاہم اس وقت تک کورونا وائرس کا شکار ہونے والے بچوں کے صرف چند ایک کیس منظرِ عام پر آئے ہیں۔ اس وائرس سے ہونے والی بیماری
 شازو نادر ہی جان لیوا ثابت ہوتی ہے۔ اس بیماری کے نتیجے میں موت کا شکار عام طور پر ایسے معمر یعنی بزرگ افراد ہوتے ہں جو پہلے ہی بیماریوں کا شکار ہوں۔
  اگر میرے بچے میں کووِڈ- 19 کی علامات ظاہر ہوں تو مجھے کیا کرنا چاہیے؟
بچوں میں کووِڈ- 19 کی علامات ظاہر ہونے پر فوری طور پر مرکزِ صحت سے رجوع کریں تاہم ایک بات ذہن میں رکھیں کہ اگر شمالی کرہِ ارض پر نزلے زکام کا موسم ہے اور کووِڈ- 19 کی علامات مثال کے طور پر نزلہ زکام اور بخار بھی فلو سے ملتی جلتی ہیں اور فلو کی بیماری بہت عام ہے۔
اپنے ہاتھوں اور سانس کی نالیوں کو صاف رکھیں اور اپنے بچے کی ویکسینیشن کے عمل کا تسلسل یقینی بنائیں تاکہ آپ کا بچہ دیگر تمام وائرس اور بیکٹیریا جو بیماریاں پیدا کرتے ہیں، ان سے محفوظ رہے ۔
نظامِ تنفس کی دیگر بیماریوں مثلا نزلے زکام کی صورت میں علامات ظاہر ہونے پر فوری طور پر مرکزِ صحت سے رجوع کریں اور عام مقامات مثال کے طور پر کام کاج  کی جگہ، سکولوں اور عوامی سواریوں یعنی بس، ویگن وغیرہ کے استعمال سے گریز کریں تاکہ دوسروں تک اور اُن سے آپ تک بیماری کے پھیلاؤ  کا عمل روکا جاسکے۔
اپنے خاندان میں علامات ظاہر ہونے پر مجھے کیا کرنا چاہیے؟
اگر آپ کے,  آپ کے بچے یا خاندان کے کسی فرد میں بخار ، کھانسی یا سانس لینے میں دشواری پیش آنے جیسی علامات ظاہر ہو چکی ہیں تو فوری طور پر مرکزِ صحت سے رجوع کریں۔ اگر آپ کسی ایسے علاقے کا سفر کرکے لوٹے ہیں جہاں کووِڈ- 19 کا کیس منظرِ عام پر آچکا ہے، یا اگر آپ کسی ایسے شخص کے پاس رہے ہیں جو ایسے ہی کسی علاقے میں رہنے کے بعد واپس آیا ہے اور اس میں بیماری کی علامات بھی ظاہر ہوچکی ہیں تو اگر ممکن ہو تو ڈاکٹر کے پاس جانے سے قبل اسے یہ تمام معلومات فون پر  فراہم کریں۔
کیا میں اپنے بچوں کو سکول نہ بھیجوں ؟
اگر آپ کے بچے میں علامات ظاہر ہوچکی ہیں تو اپنے ڈاکٹر سے رجوع کریں اور اس کی ہدایات پر عمل کریں۔ دوسری صورت میں، جیسا کہ سانس کی دیگر بیماریوں مثلا فلو کی صورت میں کیا جاتا ہے ، جب تک علامات باقی رہیں اپنے بچے کو گھر پر آرام کرنے دیں اور رش کے  عوامی مقامات، یعنی پارک، بازار، تقاریب و محافل وغیرہ پر جانے سے گریز کریں تاکہ وائرس کا پھیلاؤ  روکا جاسکے۔
اس کے برعکس اگر آپ کے بچے میں بیماری کی علامات یعنی بخار یا کھانسی وغیرہ ظاہر نہیں ہوئیں تو جب تک صحت عامہ کے حکام یا پھر خطرات سے خبردار کرنے والے دیگر متعلقہ اداروں کی جانب سے خطرے کی اطلاع نہیں دی جاتی ،  بچے کو سکول بھیجنا بہتر ہے۔ اس سلسلے میں وزارتِ صحت سے جاری کردہ احکامات کا انتظار کریں اور ان پر عمل کریں۔
اپنے بچوں کو سکول نہ بھیجنے کے بجائے انہیں سکول اور دیگر مقامات پر ہاتھ اور اپنے آپ کو صاف رکھنا سکھائیں مثلاً بار بار ہاتھ دھونا (نیچے ملاحظہ فرمائیں)، کھانسی یا چھینک کے دوران منہ اور ناک کہنی موڑ کر یا ٹشو کی مدد سے ڈھانپنا، اس کے بعد استعمال شدہ ٹشو ایسے کوڑا دان میں ضائع کرنا جسے ڈھکن کے ذریعے بند کیا جاسکتا ہو ، آنکھ منہ اور ناک کو ہاتھ اچھی طرح دھونے سے قبل نہ چھونا وغیرہ۔
سفر پر نکلنے کی صورت میں ، میں اپنے خاندان کی حفاظت کے لئے کون سے حفاظتی اقدامات اٹھاؤں؟
جو کوئی بیرون ملک سفر کا منصوبہ بنا رہا ہے ، سفر سے پہلے سفر سے متعلق مشورہ فراہم کرنے  والے اداروں سے رابطہ کرے اور اس دوران یہ جاننے کی کوشش کرے اس ملک میں داخلہ محدود تو نہیں کردیا گیا یا پھر داخلے پر پابندی تو نہیں لگا دی گئی، سفر سے قبل وبائی بیماریوں کا شکار ہونے والوں کو الگ رکھنے کی حکمتِ عملی (قرنطینہ کی ضروریات کی نوعیت ) اور متعلقہ کیا سفری مشورے دیے جارہے ہیں۔
عمومی سفری احتیاط کے علاوہ،  قرنطینہ یا دوبارہ اپنے وطن واپس بھیج دیے جانے سے بچنے کے لئے بین الاقوامی ائیر ٹرانسپورٹ ایسوسی ایشن کی ویب سائٹ سے کووِڈ- 19 کے سلسلے میں تازہ ترین ہدایات دیکھنا مت بھولیں۔ اس ویب سائٹ پر مختلف ممالک کی فہرست اور  روک تھام کے اقدامات کی جملہ تفصیلات موجود ہیں۔
سفر   کے دوران تمام والدین اور بچے صحت و صفائی کے بتائےگئے معیاری اقدامات پر عمل کریں۔ بار بار ہاتھ دھوئیں اور الکوحل پر مبنی ایسا محلول استعمال کریں جس میں 60 فی صد الکوحل شامل ہو۔ کھانسی کرتے یا چھینکتے وقت منہ اور ناک   کہنی موڑ کر یا پھر ٹشو سے ڈھانپ لیں اور اس کے فوراً متاثرہ ٹشو ایسے کوڑا دان میں ضائع کردیں جسے ڈھکن سے بند کیا جاسکے۔ اس کے علاوہ والدین دورانِ سفر ہر وقت ہاتھ صاف کرنے کا محلول، استعمال کے بعد ضائع کردیے جانے والے ٹشوز اور جراثیم سے سے پاک کرنے والے پونچھنے (wipes) اپنے ساتھ رکھیں۔
مزید احتیاطی تدابیر میں یہ اقدامات شامل ہیں: جہاز یا گاڑی میں بیٹھتے ہی جراثیم کش پونچھنے سے اپنی سیٹ ، بازؤں کو آرام دینے والی گدیاں اور ٹچ سکرین وغیرہ اچھی طرح صاف کرلیں۔ اس کے علاوہ جراثیم کش پونچھنے سے گاڑی ،  جہاز ہوٹل کے اس کمرے میں جہاں آپ یا آپ کے بچے قیام کررہے ہوں، کی زیر استعمال جگہیں، دروازوں کے ہینڈل اور ریموٹ کنٹرول وغیرہ بھی اچھی طرح صاف کرلیں۔ 
کیا کورونا وائرس حاملہ خواتین سے پیدا ہونے والے بچے کو منتقل ہوسکتا ہے؟
 اس وقت تک اس بات کے کوئی شواہد موجود نہیں ہیں کہ کورونا وائرس حمل کے دوران خواتین سے ان کے ہونے والے بچوں میں منتقل ہوسکتا ہے یا بچے پر اثرا انداز ہوسکتا ہے۔ اس بات پر اس وقت تحقیق کی جارہی ہے۔ اس لئے حاملہ خواتین کو چاہیے کہ وہ وائرس سے بچنے کے لئے حفاظتی تدابیر پر عمل کریں اور بخار، کھانسی اور سانس لینے میں دشواری جیسی علامات ظاہر ہونے پر فوری طور پر اپنے معالج یا مرکزِ صحت سے رجوع کریں۔
اگر بچے کو اپنا دودھ پلانے والی ماں کورونا وائرس کا شکار ہوجائے تو کیا وہ بچے کو اپنا دُودھ پلا سکتی ہے؟
 کورونا وائرس سے متاثرہ علاقوں میں رہنے والی ایسی مائیں جن میں بخار، کھانسی اور سانس لینے میں دشواری جیسی علامات ظاہر ہوچکی ہوں ،   فوری طور پر مراکزِ صحت سے رجوع کریں اور اپنے ڈاکٹر کی ہدایات پر عمل کریں۔
ماں کے دودھ کی اہمیت کو ذہن میں رکھتے ہوئے اور یہ دیکھتے ہوئے کہ نظامِ تنفس کو متاثر کرنے والا وائرس ماں کے دودھ پر بہت حد تک اثر انداز نہیں ہوتا، کورونا وائرس سے متاثرہ مائیں حفاظتی تدابیر اختیار کرتے ہوئے بچوں کو اپنا دُودھ پلا سکتی ہیں۔
ایسی ماؤں کے لئے ضروری ہے ، جن میں بیماری کی علامات ظاہر ہوچکی ہوں اور ان کی صحت بچے کو اپنا دودھ پلانے کی اجازت بھی دیتی ہو، کہ وہ اپنے بچے کو قریب لاتے اور دُودھ پلاتے وقت ماسک پہنیں اور اس کے علاوہ بچے کو صاف کرنے ، دودھ پلانے اور مختلف چیزوں کو جراثیم سے پاک کرنے  سے پہلے اور بعد میں بھی اپنے ہاتھ ضرور دھوئیں ۔ یہ سب اقدامات اٹھانا اس صورت میں بھی ضروری ہیں جب ماں کے علاوہ کوئی ایسا شخص بڑوں یا بچوں کے قریب آئے جس میں کووِڈ- 19 کی تصدیق ہوچکی ہو یا پھر جسے کووِڈ- 19 ہونے کا امکان ہو۔
اگر ماں زیادہ بیمار ہو تو اسے چاہیے کہ وہ اپنا دُودھ نکال کر کسی صاف کپ یا چمچ کی مدد سے بچے کو پلائے اور بیماری سے بچاؤ کی حفاظتی تدابیر پر بھی سختی سے عمل کرتی رہے۔
مجھے پریشانی لاحق ہے کہ کورونا وائرس سے بیمار ہونے پر مجھے خوفزدہ کیا جائے اور مجھے امتیازی سلوک اور رسوائی کا سامنا ہوگا؟ اس وائرس سے متاثر ہونے کے بعد میں اپنی صورتِ حال سے لوگوں کو کیسے آگاہ کروں؟
  اگر آپ کورونا وائرس کے سلسلے میں پریشان ہیں تو آپ کی پریشانی بخوبی سمجھی جاسکتی ہے۔ خوف اور رسوائی مشکل صورتِ حال کو بدترین صورتِ حال میں بدل دیتی ہے۔ مثال کے طور پر، دنیا بھر سے ایسی رپورٹس سامنے آرہی ہیں کہ کچھ افراد، خاص طور پر ایشیائی لوگوں کو، زبانی اور جسمانی تشدد کا نشانہ بنایا گیا ہے۔
صحتِ عامہ کے ہنگامی حالات متاثر ہونے والے ہر شخص کے لئے بہت زیادہ دباؤ کا باعث بنتے  ہیں۔ اس لئے ایسی صورتِ حال میں خود کو معلومات سے آگاہ رکھنا ، مہربان اور دوسروں کی حمایت کرنے والا ثابت کرنا پہلے سے زیادہ ضروری ہوجاتا ہے۔ الفاظ اہمیت رکھتے ہیں اور ایسی زبان استعمال کرنے سے لوگ کووِڈ- 19 کا ٹیسٹ کرانے سے اجتناب کرنے لگیں گے جو پہلے سے موجود فرسودہ تصورات کو مضبوط کرتی ہو۔ اس لئے ہوسکتا ہے کہ زبان کے غیر ذمہ دارانہ استعمال سے لوگ خود کو ، اپنے خاندانوں کو اور اپنے قریبی لوگوں کو کورونا وائرس سے نہ بچا پائیں۔
آپ اپنے بچوں ، خاندان اور دوستوں سے کورونا وائرس کے سلسلے میں کیسے بات کرسکتے ہیں؟
نیچے دی گئی مثالوں کی مدد سے یہ جانیے کہ آپ کیا کہہ سکتے ہیں اور کیا نہیں کہہ سکتے۔
بات کریں: نئے کورونا وائرس سے ہونے والی بیماری کووِڈ- 19 کے بارے میں بات کریں۔
بات نہ کریں: کسی جگہ یا نسل کا بیماری سے تعلق جوڑنا۔ ایک بات ذہن میں رکھیں کہ وائرس خاص آبادیوں، نسلوں اور نسلی پس منظر کو ذہن میں رکھ کر حملہ آور نہیں ہوتے۔ 
بات کریں: ان لوگوں کے بارے میں بات کریں جو کووِڈ- 19 شکار ہوچکے ہیں اور جن کا علاج کیا جارہا ہے۔ جو لوگ کووِڈ- 19 سے صحت یاب ہورہے ہیں یا پھر جو لوگ کووِڈ- 19 کا شکار ہونے کے بعد مرچکے ہیں۔
بات نہ کریں: لوگوں کا کووِڈ- 19 کی بیماری ، کیس یا پھر کووِڈ- 19 بیماری کے شکار کے طور تعارف نہ کرائیں۔
بات کریں: ان لوگوں کے بارے میں بات کریں جنہیں کووِڈ- 19 لگ چکا ہے ، یا لگنے والا ہے۔
بات نہ کریں: لوگوں کو کووِڈ- 19 پھیلانے والوں ، لگانے والوں اور عام کرنے والوں کے طور پر متعارف نہ کرائیں کیونکہ اس سے یہ مراد ہوگی کہ ان لوگوں نے جان بوجھ کر دُوسروں کو بیماری کا شکار کیا ہے اور وہ لوگ یہ سمجھیں گے کہ انہیں موردِ الزام ٹھہرایا جارہا ہے ۔
بات کریں: کووِڈ- 19 کے خطرات کے سلسلے میں سائنسی اعداد و شمار اور سرکاری ہدایات کی روشنی میں بات کریں۔
بات نہ کریں: افواہیں اور غیر مصدقہ باتیں نہ پھیلائیں۔ لوگوں کو خوفزدہ کرنے کے لئے مبالغہ آمیز الفاظ جیسے طاعون ، تباہی وغیرہ استعمال نہ کریں۔
بات کریں: موثر حفاظتی اقدامات پر مثبت انداز میں زور دے کر بات کریں اور ہاتھ دھونے کا مشورہ دیں۔ بہت سے لوگوں کے لئے یہ ایک ایسی بیماری ہے جس پر وہ قابو پاسکتے ہیں۔ ہم چند سادہ اور آسان اقدامات اٹھا کر اپنی ، اپنے پیاروں کی اور ان لوگوں کی حفاظت کرسکتے ہیں جنہیں یہ وائرس نقصان پہنچا سکتا ہے۔