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Thursday, May 24, 2018

क्या पूंजीवाद, आतंकवाद का सबसे भयावह चेहरा है?


तूतीकोरिन, तमिलनाडु में हुए पुलिस फायरिंग, ११ लोगों की मौत और मुख्य मंत्री का बयान कि पुलिस ने सेल्फ डिफेन्स में सनिप्पर से गोली चलायी, इस बात को दर्शाता है कि देश की पुलिस अब पूंजीपति लोगों के सुरक्षा के लिए है, आप के सुरक्षा के लिए नहीं!

आप सिर्फ धर्म के नाम पर वोट देने के लिए हैं और एक बार ईस्ट इंडिया कंपनी को भी याद केर लीजिये और साथ में जलिया वाला बाग कांड तो पिक्चर सही सही मालूम पड़ेगी!

ये एक पूंजीवाद का ट्रेलर है, ऐसा ये लोग हर जगह करते हैं, चाहे वो कॉर्पोरेट की नौकरी में आपका १२- १४ घंटा काम करवा के आपको चूसें या फिर माइनिंग करके ज़मीन चूसें। और जो लोग अपनी ज़मीन इनको चूसने के लिए न दें तो उनको पुलिस के मदद से मरवा दें, या सर्कार से कानून बनवा कर आपकी ज़मीन अधिग्रहित कर लें!

पूंजीवादी सरकार का काम ही है चूसना! चाहे वो रेल का किराया बढ़ा कर हो, या नोटेबंदी हो या बैंकिंग सिस्टम में आपके अपने ट्रांज़ैक्शन पर लेवि हो, ये सब आपको चूसने के लिए बने हैं!

क्या पूंजीवाद आतंकवाद का सबसे भयावह चेहरा है?

सोंचिये कि आप क्या सिर्फ वोट देने के हैं? कभी जात के नाम पर तो कभी धर्म के नाम पर! लेकिन मज़ा पूंजीपति उठा रहा है बिना वोट किये हुए! उसकी डायरेक्ट सेटिंग रहती है राज नेताओं के साथ, ये जब आपके वोट पर जीतते हैं तो आपको ही मरवाते हैं और पूंजीपतियों की सुरक्षा और बढ़ा देते हैं!

फिर कोई पूंजीपति नीरव मोदी बनकर तो कोई विजय मालया बनकर इस देश को लूट कर अंग्रेज़ों के तरह लंदन भाग जाता है!

सोंचिये, और नहीं भी सोंचेंगे तो क्या, भगवान भरोसे तो आपने अपने देश को वैसे ही छोड़ रखा है! कभी आपको धर्म के नाम पर उलझा के रखा गया तो कभी राष्ट्रवाद के नाम पर! अपने से पूछिए कि क्या मरने वाले राष्ट्रवादी नहीं थे? अगर राष्ट्रवादी थे तो उनको राष्ट्रवादी सरकार ने पूंजीपति के फायदे के लिए क्यों मारा?