Thursday, October 4, 2018

श्री मुख़्तार अब्बास नक़वी को पत्र: सामाजिक सौहार्द को लगता नज़र, बरुआ सागर, झाँसी ज़िला, उत्तर प्रदेश.

माननीए मुख़्तार अब्बास नक़वी साहेब,

आप दीर्घायु हों!

माननीए, बात बरुआ सागर की है जो एक छोटा सा शहर है, झाँसी ज़िला, उत्तर प्रदेश में. जहाँ पर अब तक हिंदू और मुसलमान शांति प्रेम और सदभाव के साथ रहते थे! इस शहर में 30 से 35 हज़ार हिंदू समाज के लोग हैं और 3 हज़ार मुसलमान समाज के, और अब तक सामाजिक सदभाव दोनो समाज के लोगों में कायम था!

बात संभवतः 27 सितंबर 2018 के रात 8.30 की है कि चार मोटर साइकल पर सवार, जो कथित तौर पर बजरंग दल और शिव सेना के लोग थे जिसमें मनोज शर्मा नाम का एक शिव सेना का कार्यकरता भी था, पार्वती मंडप के समीप 3 मुसलमान लड़कों को घेर कर मारने लगे, और तीनो युवको को बुरी तरह घायल कर दिया, फिर भाग गये.

अब यहाँ शांति स्थापित करने के लिए प. ए. सी. की टुकड़ी तैनात है. लेकिन प. ए. सी. के लोग ज़्यादह मुसलमान बहुल मोहल्ला में हैं और कम बहुसंख्यक मोहल्लाह में, जबकी उत्पात और हिंसा की शुरुआत बजरंग दल के लोगों ने किया और वो मुस्लिम मोहल्ला में नही रहते और नुक़सान भी मुस्लिम नौजवानो का हुआ है! ये इंसाफ़ तो नही है? और हाशिमपुरा के 1987 का केस आप जानते ही हैं की प. ए. सी. ने मुस्लिम नौजवानो के साथ क्या किया था!











आपको मालूम है की अभी विवेक तिवारी को पोलीस ने कैसे शूट कर दिया, ये केस ज़ाहिर करता है कि आज की उत्तर प्रदेश पोलीस का क्या रोल है समाज के संप्रदायिक भेद भाव को मिटाने में. सागर बरुआ में भी पोलीस आई और उल्टे 28 या उससे ज़्यादह मुसलमानो के खिलाफ उल्टी धारा लगा कर नामज़द कर दिया जिनका कोई कसूर नही है, हाँ अगर सही और निष्पक्ष जाँच हो और ये लोग कसूरवार पाए गये तो इनको ज़रूर सज़ा दिया जाए. लेकिन अगर ये लोग कुसूरवार नही पाए गये तो क्या पोलीस को ग़लत लोगों को नामज़द करने के ज़ुर्म में बर्खास्त किया जाए? अगर ऐसा नही होगा तो इंसाफ़ कैसे मिलेगा? और अगर इंसाफ़ नही मिलेगा तो क्या शांति की कल्पना करना बेमानी नही है?

बात यही तक नही है, ये कथित बजरंग दल और शिव सेना के लोग इस घटना के होने के पहले से ऐसे मुहल्लों में आते थे और ये नारा लगाते थे,

कटवे काटे जाएँगे, राम नाम चिल्लाएँगें..... गाली भी देते थे.

ऐसे नारों से ये लोग समाज को आपस में लड़ने पर मजबूर करते हैं! हम भारत के लोग विश्व शांति के प्रतीक हैं और अब अपने ही नागरिकों पर हमले कर रहे हैं? ये क्या हो गया है हमें, क्या हम लोग मानसिक बीमार हो गये हैं?

समाज और देश की तरक्की के लिए ये ज़रूरी है की न्याय व्यस्था सही हो, अपने ही लोगों को मार के कौन सा देश महान बना है? अगर ऐसा होता तो लोग हिटलर को महान बताते!

मैं आपको ये इसलिए लिख रहा हूँ की आप एक अल्पसंख्यक हैं और इस वजह से मोदी सरकार ने आपको अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बनाया, आप इसका संज्ञान लें! इस क्षेत्र की एम. पी. माननीए उमा भारती जी हैं उनसे कहें की पोलीस इसका निष्पक्ष जाँच करे!

आपका अभारी,

मोहम्मद मसीहुद्दीन

No comments:

Post a Comment