Wednesday, April 25, 2018

कॉंग्रेस और भाजपा में फ़र्क़: भाजपा जो काम दिन के उजाले में करती है वही काम कॉंग्रेस रात के अंधेरे में करती है! जनाब सैयेद सहीमुद्दीन साहेब.

कांग्रेस नेता और पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एमएमयू) में एक कार्यक्रम के दौरान कहा है कि उनकी पार्टी और उनके दामन पर मुसलमानों के खून के धब्बे लगे हैं. कांग्रेस शासन के दौरान हुए बाबरी विध्वंस और मुस्लिम विरोधी दंगों को लेकर पूछे गए सवाल पर सलमान खुर्शीद ने यह बयान दिया.

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, खुर्शीद ने कहा, ‘हमारे दामन में ख़ून के धब्बे हैं और इसी वजह से आप हमसे ये कह रहे हैं कि अब अगर आप पर कोई वार करे तो हमें बढ़कर उसे रोकना नहीं चाहिए, हम ये धब्बे दिखाएंगे… कि तुम समझो कि ये धब्बे तुम पर लगे हैं, ये धब्बे तुम पर न लगे, तुम वार इनपे करोगे धब्बे तुम्हारे लगेंगे, हमारे (कांग्रेस) इतिहास से कुछ सीखो और समझो, इसके बाद अपना हश्र ऐसा मत करो कि तुम 10 साल बाद अलीगढ़ यूनिवर्सिटी आओ और आप जैसा कोई सवाल पूछने वाला भी न मिले.’


अपने सवाल में आमिर ने खुर्शीद पूछा था कि 1947 में आज़ादी के बाद हाशिमपुरा, मलियाना, मेरठ, मुज़फ़्फ़रनगर, मुरादाबाद, भागलपुर, अलीगढ़ आदि जगहों पर मुसलमानों का नरसंहार हुआ. इसके अलावा बाबरी मस्जिद के दरवाजे खुलवाना और फिर इसका विध्वंस आदि घटनाएं कांग्रेस के शासन काल में हुई हैं. कांग्रेस के दामन पर मुसलमानों के इन तमाम धब्बों को आप किन शब्दों के ज़रिये धोएंगे?
हालांकि बाद में सफाई देते हुए उन्होंने इस बयान को व्यक्तिगत बताया. एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार खुर्शीद ने कहा, ‘ये मेरे व्यक्तिगत विचार हैं और इंसानियत के नाते ऐसा कहा था. मैंने जो कहा था उसे आगे भी कहता रहूंगा.’
ये मुमकिन है की सलमान साहेब कॉंग्रेस छोड़ने का इरादा बना लिया हो लेकिन ये बात बोल के उन्हों ने मुसलमानों पर बहुत एहसान किया है! ये बात उनको (मुसलमानों) हिन्दुस्तानी सियासत को समझने में मदद करेगी!

जनाब सैयेद सहीमुद्दीन साहेब  जो एक लंबे समय तक पोलिटिकल आक्टिविस्ट रह चुके हैं, बताते हैं कि कॉंग्रेस और भाजपा में फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है की भाजपा जो काम दिन के उजाले में करती है वही काम कॉंग्रेस रात के अंधेरे में करती है! 
http://thewirehindi.com/41033/congress-has-stains-of-muslim-blood-says-salman-khurshid/



Monday, April 23, 2018

अब्दुल्लाह और जुंमन मियाँ की कहानी और हिन्दुस्तान की सियासत.

अब्दुल्लाह और जुंमन मियाँ की कहानी और हिन्दुस्तान की सियासत.

बंगाल से कम्यूनिस्ट गये, ममता आयीं (या लाई गयीं नही मालूम), संघी बढ़ने लगे जैसे कुकुर मुत्ते, फिर 10 साल में इतने बढ़े की रानी गंज में मुसलमानो के दुकानो को जला दिया गया, इमाम का बेटा मरा सभी को मालूम. इन सबके बावजूद, ममता सेक्युलर जैसे की नीतीश सेक्युलर. जब बात सेक्युलर की ही है तो कम्यूनिस्ट पार्टी से ज़यादा कौन सेक्युलर है!

अब्दुल्लाह भी सेक्युलर है और सेक्युलर अलाइयेन्स करता लेकिन अपने लोगों को कभी राम नौमी के जुलूस मे मरवा देता तो कभी रानी गंज आसंसूल के दंगों में ममता के हाथों मरवाता है!

अब्दुल्लाह केरला में तो कम्यूनिस्ट पार्टी का सपोर्ट करता और वहाँ मजबूत भी है मा शा अल्लाह लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल आते आते बेचारा थक जाता है और अपनी अक़्ल्ल से अपने ही लोगों को मरवाता है और बोलता है की वो जुंमन मिया से मोहब्बत भी करता है लेकिन मुलायम की मदद से कभी जुंमन को यू. पी के मुज़फ़्फ़र नगर में मरवाता तो कभी कॉंग्रेस की मदद से असम मे मरवाता. फिर कलमा पढ़ते हुए

अब्दुल्लाह किसी नकली सेक्युलर जैसे ममता, मुलायम, नीतीश, राहुल से सौदा कर लेता है जुंमन मिया के जान का. ये खेल अब्दुल्लाह बहुत पहले से कर रहा है, जुंमन बेचारा इसको अल्लाह की मर्ज़ी समझ के सब्र कर लेता...

और ये कहानी जुंमन के क़त्लेआम वैसे ही चल रही है जैसे हाबील और काबिल की. अब्दुल्लाह अपने भाई जुंमन को मारते जा रहा है जैसे काबिल नेअपने छोटे भाई हाबील के साथ किया था. जहाँ मुसलमान को बचाना है वहाँ अब्दुल्लाह इस्लाम बचाने की बात करता है ये जानते हुए की इस्लाम को अल्लाह ने लौह महफुज़ में रखा है और उसका कोई कुछ नही बिगाड़ सकता. अफ़सोस, अब्दुल्लाह जान का सौदा करता है और अपने को जुंमन का सबसे बड़ा हमदर्द भी कहता है और जुंमन भी अब्दुल्लाह के बातों को सही समझता है!!

अब्दुल्लाह ने इतना कन्फ्यूज़ करके रखा हुआ है की जुंमन सियासत और धर्म मे फ़र्क़ ही नही समझता. जुंमन का ईमान जो भाप के तरह उड़वाने की बात अब्दुल्लाह कर जाता है फिर बेचारा जुंमन क्या करे? उसने क़ुरान भी नही पढ़ा जिससे वो जाने की उसके साथ अब्दुल्लाह इंसाफ़ कर रहा है या नही!

पता नही हम मे से कौन अब्दुल्लाह है और कौन जुंमन...!

जाने मेरे चमन का, ये अंजाम कियूं हुआ,
फूलों का क़त्ले-आम सरेआम कियूं हुआ।
अपने सफों में कोई मुनाफ़िक़ ज़रूर है,
वरना मैं हर मुहाज़ पे नाक़ाम कियूं हुआ।

(अल्लामा इक़बाल)

Saturday, April 14, 2018

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, आपस में हम भाई भाई.

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, आपस में हम भाई भाई..!

जब जब इन्हों ने हाथ मिलाई, अँग्रेज़ों ने मुँह की खाई..!

जब ये चारों मिल बैठेंगे, बात करेंगे..!

हाँ चारों यार जब मिल बैठेंगे बात करेंगे, सब कुछ का समाधान करेंगे..!

ना कोई बचेगा बलात्कारी, ना कोई होगा दंगाई..!

ब्लात्कारी और दंगाई का घर कहाँ??

उनका एक ही घर, बंगाल की खाई, बंगाल की खाई..!

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, आपस में हम भाई भाई!

यही हिंद की रीत है भाई, नही तो होगी जग हंसाई…!

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, आपस में हम भाई भाई.

Deen Bachao, Desh Bachao / दीन बचाओ, देश बचाओ

If heading would have been like Sanvidhan Bachao, Desh Bachao then all communities irrespective of religion, and liberals and thinkers would have come to this rally.

But it’s looking like Muslim-Muslim Affairs. It is should be a national affairs because constitutional values are on stake in current government, therefore all communities should come along with you without thinking on religious identities.

Muslims responsibility now is taking all communities along then only Muslims will be accepted as leaders else, RSS has already inculcated in the mind of the Hindu youths that if any Muslim will speak he will speak for the rights of Muslims not for Hindus and Christians and this kind of rally (Deen Bachao, Desh Bachao) will prove further that RSS is right.

Furthermore, Saving Deen is Allah responsibility as he has kept the Quran in Loh-e-Mahfuz, none can change. If Deen will be changed by current people then Allah will bring the other people who will follow the deen.

Let’s not interfere in the work where Allah has taken the guarantee himself.

Our duty should be to speak on the fundamental rights, injustices irrespective to religious identity & Caste and rights of social equality which Allah has given responsibility on the human and obligatory responsibility to believers to establish justice, equality and brotherhood. Basic human right must not be compromised be it Hindu, Muslim, Christian, Jews or atheist.

Allah hum sabko Sahi Samajhne aur Amal Kerne ki Taufiq Ata kare. Amen.

Updated on 16 / 04 / 2016.

There is news coming out that Deen Bachao, Desh Bachao Rally was actually to full fill the political ambitions of some Ullema in Bihar. Soon after the rally, on 15th April evening rally convener, Mr. Khalid Anwar was given ticket for MLC. Sources said that it was initially offered to Mr. Wali Rahmani. It is sad to see that those who advocate the deen are actually playing in the hand of politicians like Nitish Kumar who recently could not control the communal riots in various cities in Bihar despite of being in power on the occasion of Ramnavmi. Bihar witnessed loot and communal violence between the two communities.

Muslims need to learn how to dissociate politics from religious body. Otherwise, it will always lead to a sentimental situation where Hynas of the jungle will eat you while you are alive. Lets our Ullema to confine theirs activity in the religious affairs only, they are not being taught the politics and constitution. So they are not eligible to stand on the behalf of community on political ground with religious flavor.

This situation is similar to RSS hacked the Hinduism like convener Khalid Anwar did. He used religion for his benefit to get the ticket of MLC. What deal he had with Nitish Kumar about abolition of criminal provision of instant triple Talaq to put men in jail for 3 years and what Nitish Kumar is going to do in this regard. We want to know. He can not play with sentiments of lakhs muslims participated in rally leaving their houses, kids and family. They spent money and time on it. In return what they get, what Khalid Anwar will give to community to safe guard the fundamental rights to practice a religion?

https://aajtak.intoday.in/story/muslim-deen-bachao-desh-bachao-ulama-mlc-patna-bihar-bjp-jdu-tpt-1-996773.html

https://www.youtube.com/watch?v=eTxVUi9J9aU 

https://www.youtube.com/watch?v=GYA-d9ZiwBc


Sunday, April 8, 2018

मुसलमान समाज और साइंटिफिक इज़ाद की क़िल्लत

नीचे दिया गया सवाल बहुत सारे लोगों से पूछा गया,

क्या वजह है की मुसलमान समाज, कोई नयी चीज़ जैसे मोबाइल, कार, बुलेट ट्रेन, जहाज़, मोटर साइकल या इसी तरह कोई दूसरी चीज़ जैसे व्हातसपप, फ़ेसबुक या ट्विटर का इज़ाद नही करता? दूसरे क़ौम के लोगों के ज़रिए बनाए गये समान को इस्तेमाल करता है और उपभोगता बन गया है? आपकी राय में क्या वजहें हो सकती हैं और इसका हल क्या है?

एक हमारे मित्र के द्वारा ये जवाब आया...

1400 साल से आज तक मुसलमानो की सोच चटाई और मिट्टी के लोटे से बाहर नहीं आई और दुनिया कम्प्यूटर ऐज से होती हुई #Mars (मंगल) पर खड़ी है । किस ने हैक कर लिए इस फ़ातेह कौम के दिमाग़ को, जहाँ सोचने के लिए सिर्फ टखनो से ऊँचा पाजामा, एक मुश्त चार ऊंगल दाढ़ी। बाकी सारी दुनिया दोज़ख के कुत्तोँ का कारखाना है और उन्ही दोज़ख के कुत्तों की टेक्नोलॉजी ने सारी दुनिया को अपना ग़ुलाम बना रखा है।

ज़मीन के नीचे क्या होगा यह आपको मालूम है । ज़मीन के ऊपर आसमानों की पूरी जानकारी आपके पास है। मगर जो दुनिया आप के लिए तख़लीक़ की गयी हैं, उस के लिए आप जाहिल लठ हो! दूसरी कौमे ज़मीन से यूरेनियम निकाल रही है और उसका इस्तेमाल जानती है आप सिर्फ ज़मज़म के फायदे गिना रहे हो।

दूसरी कौमों ने दुनिया की बक़ा के लिए हज़ारों ज़बानों में किताबें लिखी और पढ़ीं। आपने क़ुरान भी पढ़ा नहीं सिर्फ हिलकर रटा। दूसरी कौमों ने आने वाली नस्लों के लिए हज़ारों यूनिवर्सिटीयाँ कायम की। आप नकली रसीदें छपवा कर मदरसों के नाम पर मांगते रहे। दूसरी कौमों ने लाखों अस्पताल कायम किए, आप सिर्फ़ दुआओं में शिफाए, कामला, आजला चिल्लाते रहे। दूसरी कौमों ने आवाज़ से भी तेज़ चलने वाली सवारियाँ ईजाद कर लीं, आप रफरफ और फरिशताऐ मलेकुल मौत की रफ़्तार बयान करते रहे। इस खूबसूरत दुनिया मे आप की कोई हिस्सेदारी क्यों नहीं? आप कहते है बैंकिंग सिस्टम आपने दिया फिर आपका विश्व बैंक में क्या है? यह बैंक आप के यहाँ क्यों नहीं? आप कहते है प्रेस आपकी ईजाद है, फिर भी आप किताबों से ख़ाली हैं सिवाए मज़हबी किताबों के। यह एक कड़वी सच्चाई है।

अगर कुछ इस्लामी मुल्कों में पेट्रोल, सोना, खजूर, जैतून पैदा ना हो रहा होता तो आज भी आप तंबू लगाकर रेत के टीलों में ख़ाना बदोशी कर रहे होते और जिन चंद इस्लामी देशों पर आप घमंड करते है तो वह भी अमेरिका के ऐजेंडों पर काम कर रहे हैं उनके ऐश व आराम, चमक-दमक, अय्याशी, बादशाही सिर्फ अमेरिका पर टिकी है। वरना ईराक व सीरिया बनने मे तीन दिन से ज्यादा नहीं लगेंगे, क्योंकि वह भी आप की सोच के जनक हैं। ना एयरफोर्स, ना आर्मी, ना इत्तेफाक, ना इत्तेहाद बस बड़े-बड़े हरम, पांच-पांच बीवियाँ, दस-दस रखैलें, सोने के जहाज़, सोने की मरसिटीज़, पालतू शेर, ऐश व अय्याशी! और आप ईसाइयों और यहूदियों के बनाए हथियार और टेक्नोलॉजी से पूरी दुनिया में ईस्लाम की हुकूमत लाने की सोच रहे हैं। कहाँ जा रहे हैं आप? क्या दुनिया में पनपने की यही बातें है। इतनी बड़ी कौम की बदहवासी की सिर्फ एक ही वजह है और वह है आप की सोच पर कुछ खुद साख़्ता मज़हबी ठेकेदार ज़हरीले साँप की तरह कुंडली मारे बैठे हैं। जहाँ आप की सोच बाहर निकली इनका ज़हरीला फ़न वार कर देता है। आप दूसरों की कायम करदा सोच के ग़ुलाम हैं। आपकी अपनी सोच लॉक कर दी गयी है!

अब भी वक़्त है अपने रब की नेमतों को पहचानो। नियत से ज़्यादा ज़हनियत बदलो।

एएमयू अलीगढ़ संयुक्त अरब अमीरात पूर्व छात्र फोरम (AMU ALUMANI_UAE_FORUM)

Saturday, April 7, 2018

Total Dissolved Solid (TDS) and Our Drinking Water

As per World Health Organisation, the Total dissolved solids (TDS) is the term used to describe the inorganic salts and small amounts of organic matter present in solution in water. The principal constituents are usually calcium, magnesium, sodium, and potassium cations and carbonate, hydrogencarbonate, chloride, sulfate, and nitrate anions. (WHO).

EFFECTS ON HUMANS;

In early studies, inverse relationships were reported between TDS concentrations in drinking water and the incidence of cancer, coronary heart disease, arteriosclerotic heart disease , and cardiovascular disease.

Total mortality rates were reported to be inversely correlated with TDS levels in drinking-water. It was reported in a summary of a study in Australia that mortality from all categories of ischaemic heart disease and acute myocardial infarction was increased in a community with high levels of soluble solids, calcium, magnesium, sulfate, chloride, fluoride, alkalinity, total hardness, and pH when compared with one in which levels were lower.

Therefore, a balanced level of the TDS should be present in drinking water to lead the healthy life. WHO recommends that for fair taste it is good to have 300 ppm to 600 ppm TDS in water. Normally tap water possess TDS between 200 ppm to 400 ppm is also good for heath.

Lower the TDS have the good taste of water. Because of this reason probably most of the bottled water have the less amount of TDS which varies usually from 90 ppm to 130 ppm.

But be reminded that so called bottled mineral water do not have sufficient minerals but in fact they contain less amount of TDS.

Therefore, it is advisable to put tap water in MATKA / GHADA / SURAHI and they it should be used for drinking.

Water is life so be careful what you drink.

Watch out the video on below link to see the experiment of different types of water.

https://www.youtube.com/watch?v=QBGDXlgn7K8

https://www.youtube.com/watch?v=QBGDXlgn7K8

Thursday, April 5, 2018

GST on Life Saving MEDICINES: Election manifesto 2019

The goods and services tax (GST) on formulations is 12% for most medicines, as compared to the earlier 5% VAT.


As we know that many medicines comes under LIFE SAVING DRUGS and are costly. We also know that medicines are not a LUXURY item. It become critically needed to save life when required.

Almost 20 to 25% Indian lives below poverty line. In majority of the cases, their health concern become major concern (specially for elders). In this circumstances, it become illogical and unjustified to put GST on LIFE SAVING DRUGS.

Why a person should pay 12% GST on medicine in a difficult financial situation wherein sometime the family takes loan on heavy interest to save life of their family member? (Hence they have to pay TAX (GST) and interest on loan)

We should demand that our political parties must to come together in order to give TAX waiver for the Indian Citizens in the case of life saving drugs.


Books by Maulana Abul Kalam Azad: 1st Education Minister of Independent India, a statesman, visionary leader

The following great read by Maulana Abul Kalam Azad: 1st Education Minister of Independent India, a statesman, visionary leader;

1. India wins FREEDOM
2. Dawat e Haq
3. Azeemat O Dawat
4. Lisaan us Sidq
5. Sada e Haq
6. Tasawwarat e Quran
7. Tasreehat e Azad
8. Maulana and National Education System
9. Abul Kalam Azad, Biography by Shaourish
10. Azadi e Hind (Urdu translation of India wins freedom)
11. Eela O Takhyeer
12. Sadaa e Ri'fat

There could be ups and downs in page numbers, please arrange it using adobe professional and download the books from below link;

https://drive.google.com/drive/folders/1Sqdzh-769hsQk1SGm84mdtRYltNgKKj1?usp=sharing





2019 General Election – What to gain what to lose

2019 General Election – What to gain what to lose
2019 General Election either would be a last election or it will continue as usual depending upon whether BJP wins the General Election 2019 or not.

It will bring new hopes for Dalits / Muslims / Christian / Sikh and for communists if BJP will lose the election 2019. If BJP wins, then 1st target will be the Muslims and then slowly others till you accept slavery and kingdom of RSS.

BJP will try 200% to win the election 2019 to celebrate 2025 as 100 years of foundation of RSS to make India as Hindutva Nation.

*So what is alternative plan we have?* 

In worst case scenario if BJP wins the election 2019, there would not election in future, as in both Loksabha and Rajya Sabha, BJP will have majority to change the constitution and legally through parliament, law will come as slavery for us. What Narendra Modi has promised as *NEW INDIA* similar to British India.

It is now responsibility of every individual citizen to concentrate on 2019 general election to save India and to save other Indian citizens to not become slave of RSS in future. We must need to be a very responsible citizen to not waste our energy / and not divide our votes.
Let’s not be *emotional fool*, let’s not be *religious fools* to support the caste or religion but let’s be rationale to save us as nation.

In order to keep the BJP away from electoral gain in 2019, Dalits + Muslims + Christians + Communists + Tribals + Sikh (DMCCTS), together constitute more that 80% of Indian population (90 Crore Indians). Let’s not make more than 90 Crore Indians as slaves to 15% population.

We have to fight this election with strategy, *with sweat, with blood, with money everything you require to defeat the BJP to come in power and more important is Togetherness (DMCCTS). Let’s ask Owasi to not fight election for another 5 years by sending him a written request.
Let’s ask people of J&K to participate in election and come for maximum voter turnout. Let’s ask congress to make alliances with others genuinely, if congress is not coming genuinely, then leave the congress alone but not vote for congress. If there are multiple Muslim candidates funded by BJP, contesting for election in same constituency, let’s not give a single vote. Lets ask Imams and Maulana to not give political statement for another 1 to 2 years as it helps RSS to counter polarize the vote of majority population in reaction.

BJP will incite the communal violence to create the polarization but WE the people of India has to respond the BJP violence with cool, calm and lets pledge to not post or propagate the communal messages to each other on social media sites, either through whatsapp or facebook or twitter or by any other means. Ramnavmi Julus is over and we have seen that BJP taking advantage of festivals to turn in communal riots, BJP will take advantage of other festivals among which is most important is *Holi 2019* which would be very near to 2019 election.

BJP no have Agenda but winning through polarization / communal violence. And this is going to be the biggest electoral trap if not understood on time. You need to be vigilant about what is happening on your village and Mohalla. Do not allow the communal tension to spread. Immediately ask the police and handover the matter to police and avoid communal violence message spreading.

Only spread the message of Hindu-Muslim togetherness not the bitterness.
Because if it happened to you and even you will share your experience as Muslim that injustice happened to you, RSS will take advantage of this by showing Mughals history to majority community that they are taking revenge of Mughal era which has nothing related to you. Let’s not allow such messages of bitterness even come to media, resolve it at the same place.